बरखा बुन्नी जाड़ा पाला चलै सीत कै लहरी चल
चल तहसील कचहरी चल
लेखपाल जी पतरा खोलैं
घुमा-फिरा भकसावन बोलैं
चकबंदी के भूल-भुलइया
मुखिया के परधान के लेके उठि के तनी भोरहरी चल
चल तहसील कचहरी चल
आहि रे मइया आहि रे दादा
परे लगल रादा पर रादा
चिथरू अउर पवारू दउरैं
सिधरू अउर सोमारू दउरैं
कुछ वकील पेशकार के केले पैदल जेठ दुपहरी चल
चल तहसील कचहरी चल
चलल मुकदमा ठाले में
न्याय गिरल बा खाले में
कबने देव के माथ नवाईं
कहाँ-कहाँ परसाद चढ़ाईं
परग-परग पर नागिन लोटैं फूँक-फूँक के डहरी चल
चल तहसील कचहरी चल
हर नंबर के भयल स्वयंबर
बाँट-बाँट के खइलैं बंदर
बिचवलियन के चमकल पानी
अधिकारिन के अवरू चानी
लोटा-बटुआ-गहना कतहूँ रख 'बावला' धरहरी चल
चल तहसील कचहरी चल